तिरत सिंग शुरुआती १८ सदी में खासी लोगों के मुखिया थे | वह स्यिएम्लिएह गुट के वंशज थे | वह नोंग्ख्लाव के सरदार थे | तिरत सिंह ने अग्रेजों की खासी पहाड़ियों को कब्ज़ा करने की कोशिशों का विरोध किया | जनवरी १८३३ में एक मुठभेड़ के बाद घायल तिरत सिंह एक गुफा में उपचार के लिए छिप गए | लेकिन एक सरदार के खबर देने की वजह से उनको बंदी बना लिया गया और ढाका भेज दिया गया | उनकी मौत १७ जुलाई १८३५ को हुई |