महाभारत में ३ सूर्य ग्रहण और अन्य गृहों की दशा का ज़िक्र किया गया है | पहले सूर्य ग्रहण का ज़िक्र सभा पर्व में हुआ है जब पांडव की जंगल की यात्रा शुरू होने से पहले विदुर ने इस ग्रहण के बारे में बताया | दुसरे सूर्य ग्रहण का ज़िक्र भीष्म पर्व में हुआ है जो की महाभारत के असल युद्ध से दो हफ्ते पहले हुआ था | इसके इलावा ग्रन्थ में दुसरे सूर्य ग्रहण और युद्ध की शुरुआत के बीच गृहों की दशा का ज़िक्र किया गया है |तीसरे ग्रहण का ज़िक्र मौसल पर्व में महाभारत युद्ध के 36 साल बाद हुआ है | ये ग्रहण द्वारका से दिखाई दिया गया था |
वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर और ग्रहों की दशा के मिलान की मदद से इन घटनाओं की पुष्टि सटीक रूप से कर पाई है | २००३ में बैंगलोर में इसी विषय पर 5 और 6 जनवरी को एक बैठक का आयोजन हुआ था जिसमें मोजूद सभी वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने माना की महाभारत में खुगोलीय घटनाओं का मेल उस वक़्त के गृहों की दशा से मेल खाता है |इस के आधार पर इस बैठक में ये पता चला है की महाभारत युद्ध की शुरुआत हुई थी २२ नवम्बर ३०६७ को |