राजीव दीक्षित की तरह ही शास्त्री जी की भी रहस्यमयी परिस्थितियों में दिल के दौरे से मौत हो गयी थी | ताशकेंट रूस में उस समय दो बजे थे और उनकी मौत ताशकेंट घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के ठीक एक दिन बाद हो गयी थी | वह देश के पहले प्रधान मंत्री थे जिनकी विदेश में मौत हुई थी इसलिए सब लोगों को उनकी मौत पर शक हुआ |

 इसके इलावा उनके भी शव का परिक्षण नहीं हुआ और खबरें आने लगीं की उनकी मौत ज़हर देने से हुई थी | कई सालों बाद जॉर्ज क्रोव्ले एक पत्रकार ने अपनी किताब “कन्वर्सेशनस विथ द क्रो” में दावा किया की सी आई ऐ लाल बहादुर शास्त्री की ताशकेंट में मौत के लिए ज़िम्मेदार था |

क्रोव्ले ने बताया की अमेरिका भारत खास तौर से लाल बहादुर शास्त्री के परमाणु नीतियों पर रवैये से डर गया था | ये घटना आज तक भी एक रहस्य बना हुआ है |


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