“उसकी चाबियाँ और घडी कहाँ हैं” ये था इंदिरा गाँधी का कथन जब उन्हें अपने बेटे की मौत का पता चला | संजय गाँधी की मौत २३ जून १९८० को हवाई जहाज दुर्घटना में हुई थी | ऐसा कहा जाता है की संजय गाँधी के पिता कोई और थे जिस बात का वह काफी फायदा उठाते थे | 

वह इंदिरा गाँधी से बार बार इस बात का ज़िक्र कर अपनी हर बात मनवा लेते थे |एक ऐय्याश प्रवृत्ति वाले संजय गाँधी की जिंदगी पर इससे पहले भी ३ हमले हो चुके थे |कहते हैं भारत में इमरजेंसी के दौरान हुए गुनाह भी संजय गाँधी के नेतृत्व में हुए थे और इंदिरा गाँधी को डर था की उनकी इन आदतों की वजह से सत्ता पर उनकी पार्टी का रुबाव कम न हो जाए |


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