माकन और उनकी पत्नी गीतांजलि की दंगों में शामिल होने के कारण हरजिंदर सिंह जिन्दा ,सुखदेव सिंह सुखा और रंजित सिंह गिल ने माकन के घर के सामने ३१ जुलाई १९८५ को गोली मार हत्या कर दी | तीनों कातिल गोली चलाते रहे जबकि माकन बचने की कोशिश करते रहे | बाद में कातिल स्कूटर पर भाग गए | 

बाद में पुलिस ने सुखदेव सिंह सुखा को १९८६ में और हरजिंदर सिंह जिन्दा को १९८७ में गिरफ्तार कर लिया | दोनों को सेना अध्यक्ष अरुण श्रीधर वैद्य की मौत का भी ज़िम्मेदार मानते हुए ९ अक्टूबर १९९२ को फांसी की सजा दे दी गयी | भारतीय सरकार के कहने पर रंजीत सिंह गिल को अमेरिका में १४ मई १९८७ को गिरफ्तार कर फेब्रुअरी २००० में वापस भारत भेजा गया | कई साल चलने वाले इस केस के बाद उन्हें २४ फेब्रुअरी २००३ को उम्र कैद की सजा सुनाई गयी |


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