अघोर पंथ की शूरुआत करने का श्रेय भगवान शिव को दिया जाता है | अवधूत भगवान् दत्तात्रेय अघोर्शास्त्र के गुरु बताये जाते हैं | अघोर संप्रदाय के एक संत के रूप में कीनाराम बाबा की पूजा की जाती है | इस सम्परादय के लोग शिवजी के सेवक होते हैं | वह शिव को सम्पूर्ण और जड़ ,चेतन समस्त रूपों में विद्यमान मानते हैं |
अघोर संप्रदाय के साधक नरमुंडों की माला पहनते हैं और नर मुंडों का पात्र की तरह इस्तेमाल करते हैं| चिता के भस्म को शरीर पर लगाना और चिताग्नि में भोजन बनाना ये आम बातें हैं | अघोरी की नज़र में स्थान भेड़ नहीं होता इसलिए महल और शमशान एक समान होते हैं |