गणपति स्तोत्र
 
गणपति: विघ्नराजो लम्बतुन्ड़ो गजानन:।
 
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:।।
 
विनायक: चारूकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
 
द्वादश एतानि नामानि प्रात: उत्थाय य: पठेत्।।
 
विश्वम तस्य भवेद् वश्यम् न च विघ्नम् भवेत् क्वचित्।
 
विघ्नेश्वराय वरदाय शुभप्रियाय।
 
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय।।
 
 
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
 
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
 
 
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
 
प्रसन्नवदनं ध्यायेतसर्वविघ्नोपशान्तये।।

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