आखिर क्या है कालसर्प दोष , कैसे होता और इसका हल क्या है ? ये जानना बेहद ज़रूरी है | प्राचीन समय में इस दोष का ज्यादा बखान नहीं हैं लेकिन आधुनिक ज्योदिश में इसे काफी मान्यता मिली है | मूलतः सूरज,चंद्रमा ,गुरु के साथ रहू की मोजूदगी काल सर्प दोष को जन्म देता है |
राहू का अधिदेवता है “काल” और केतु के अधिदेवता है “सर्प”| इन दो ग्रहों के बीच कुंडली में एक ही तरफ ये सभी ग्रह हों तो इसे काल सर्प दोष कहते हैं | राहू केतु सदेव वक्री चलते हैं और सूर्य चंद्र्मार्गी|