तृतीय चरण के दौरान जब शनि गोचर में चन्द्रमा से द्वितीय भाव में आता है तब यह व्यक्ति एवं बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। जीवन के अंतिम दिनों में शनि की यह स्थिति मौत को निमंत्रण देती है। चतुर्थ भाव में शनि की दृष्टि हो जाने  धन की हानि, खर्च में वृद्धि, स्वास्थ्य में गिरावट और परिवार में कलह को जन्म देती है। 
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