श्वास लेने और छोड़ने की गति भी तय करती है मनुष्य के जीवन की अवधि । प्राणायाम करते रहने से सभी तरह के रोगों से बचा जा सकता है।

*जिस व्यक्ति का श्वास अत्यंत धीमे  चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शांति न मिल रही हो तो उसका बच पाना  मुश्किल है। नाक का  स्वर अव्यवस्थित हो जाने का लक्षण अंदाज़न मृत्यु के 2-3 दिनों पूर्व प्रकट होता है।

*कहते हैं कि जो व्यक्ति की सिर्फ दाहिनी नासिका से ही एक दिन और रात निरंतर श्वास ले रहा है (सर्दी-जुकाम को छोड़कर) तो यह किसी बीमारी का संकेत है | यदि इस पर वह ध्यान नहीं देता है तो तीन वर्ष में उसकी मौत तय है।

*जिसकी दक्षिण श्वास लगातार दो-तीन दिन तक चलती रहे तो ऐसा व्यक्ति का संसार में एक वर्ष ही बचा है यदि अगर  वायु नाक  के दोनों छिद्रों को छोड़कर मुख से चलने लगे तो दो दिन के पहले ही उसकी मृत्यु हो जायेगी । 
जिस व्यक्ति के मल, मूत्र और वीर्य एवं छींक एक साथ ही गिरते हैं उसकी आयु केवल एक वर्ष ही शेष है, ऐसा मान लेना चाहिए। 

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