भगवान शंकर का वाहन नंदी यानी बैल है। बैल बहुत ही मेहनती प्राणी होता है। वह जितना शक्तिशाली होता है उतना ही शांत एवं भोला होता है। वैसे ही भगवान शिव भी परमयोगी एवं शक्तिशाली होते हुए भी परम शांत एवं इतने भोले हैं कि उनका एक नाम ही भोलेनाथ पड़ गया है। भगवान शंकर ने जिस तरह काम को भस्म कर उस पर विजय प्राप्त की थी, उसी तरह उनका वाहन भी कभी कामी नही होता। उसका काम पर पूरा नियंत्रण होता है।
साथ ही नंदी को पुरुषार्थ का भी प्रतीक माना गया है। कड़ी मेहनत करने के बाद भी ये बैल कभी थकता नहीं है। वह लगातार अपने कर्म करते रहता है। इसका अर्थ है हमें भी सदैव अपना कर्म करते रहना चाहिए । कर्म करते रहने के कारण जिस तरह नंदी शिव को प्रिय है, उसी प्रकार हम भी भगवान शंकर की कृपा पा सकते हैं।