धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण स्वर्ग से ऐश्वर्य, धन, वैभव आदि सब लुप्त  हो गया। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने उन्हें असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने का उपाय बताया और ये भी बताया कि समुद्र मंथन से जो भी अमृत निकलेगा, उसे  ग्रहण कर वह अमर हो जायेंगे। यह बात जब देवताओं ने असुरों के राजा बलि को बताई तो वे भी समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। वासुकि नाग की नेती बनाई गई और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुद्र का मंथन आरम्भ हुआ | समुद्र मंथन से उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी, भगवान धन्वन्तरि सहित 14 रत्न निकले।

समुद्र मंथन को अगर हम जिंदगी के नजरिए से देखें तो हम पाएंगे कि सीधे-सीधे किसी को अमृत (परमात्मा) नहीं मिलता। उसके लिए पहले अपने मन को विकारों को दूर करना पड़ता है और इंद्रियों पर नियंत्रण करना पड़ता है। 

Comments
Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel