सर्वप्रथम फादर कामिल बुल्के ने श्रीराम के अस्तित्व पर शोध किया। उन्होंने पूरी दुनिया में रामायण से जुड़े करीब 300 रूपों की पहचान की। इसके बाद समय समय पर कई शोध होते रहे। वर्तमान में नवीनतम शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व 10 जनवरी को दिन के 12.05 पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। यह शोध वेदों पर वैज्ञानिक शोध संस्थान आई-सर्व ने किया। वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था।
शोधकर्ता डॉ. वर्तक पीवी वर्तक के अनुसार ऐसी स्थिति 7323 ईसा पूर्व दिसंबर में ही निर्मित हुई थी, लेकिन प्रोफेसर तोबयस के अनुसार जन्म के ग्रहों के विन्यास के आधार पर श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था। उनके अनुसार ऐसी आकाशीय स्थिति तब भी बनी थी। तब 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में ऐसा ही दृष्य था जैसा कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।
कुछ वर्ष पूर्व वाराणसी स्थित श्रीमद् आद्य जगदगुरु शंकराचार्य शोध संस्थान के संस्थापक स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती ने भी अनेक संस्कृत ग्रंथों के आधार पर श्रीराम और कृष्ण की ऐतिहासिकता को स्थापित करने का कार्य किया था।