भानगढ़ राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित एक एक शहर है। हालांकि इस शहर में कोई नहीं रहता है क्योंकि अब यह शहर पूरा का पूरा खंडहर में बदल चुका है। यहां का एक किला और महल सबसे ज्यादा शापित माने जाते हैं। भानगढ़ के किले को आमेर के राजा भगवानदास ने 1573 ई. में बनवाया था।यहां बाजार, गलियां, हवेलियां, महल, कुएं और बावड़िया तथा बाग-बगीचे आदि सब कुछ हैं, लेकिन सब के सब खंडहर हैं। जैसे एक ही रात में सब कुछ उजड़ गया हो। पूरे शहर में एक भी घर या हवेली ऐसी नहीं है, जिस पर छत हो, लेकिन मंदिरों के शिखर आत्ममुग्ध खड़े दिखाई देते हैं।
गुरु बालू का शाप : कहते हैं कि भानगढ़ में एक गुरु बालूनाथ रहते थे। उन्होंने भानगढ़ के महल के मूल निर्माण की मंजूरी दी थी लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी दी थी कि महल की ऊंचाई इतनी रखी जाए कि उसकी छाया उनके ध्यान स्थान से आगे न निकले अन्यथा पूरा नगर ध्वस्त हो जाएगा। बालूनाथ की ये चेतावनी किसी ने सुनी नहीं और राजवंश के राजा अजब सिंह ने उस महल की ऊंचाई बढ़ा दी जिससे की महल की छाया ने गुरु बालूनाथ के ध्यान स्थान को ढंक लिया और तभी से यह महल शापित हो गया।
तंत्रिक का शाप : एक अन्य किंवदंति के अनुसार अरावली की पहाडि़यों में एक सिंघिया नाम का तांत्रिक अपने तंत्र-मंत्र और टोटकों के लिए जाना जाता था। कहते हैं कि वह मन ही मन भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती को चाहने लगा था। राजकुमारी को पाने के लिए उसने सिर में लगाने वाले तेल को अभिमंत्रित कर दिया था। कहा जाता है कि रत्नावली भी तंत्र-मंत्र और टोटके की जानकार थी। उसने अपनी शक्ति से तेल के टोटके को पहचान लिया और तेल एक बड़ी शिला पर डाल दिया। इस प्रयोग के बाद शिला तांत्रिक की ओर उड़ चली। चट्टान को अपनी ओर आते देख तांत्रिक क्रोधित हो गया।
उसने शिला से कुचलकर मरने से पहले एक और तंत्र किया और शिला को समूचे भानगढ़ को बर्बाद करने का आदेश दिया। चट्टान ने रातों-रात भानगढ़ के महल, बाजारों और घरों को खंडहर में तब्दील कर दिया। लेकिन मंदिरों और धार्मिक स्थानों पर तांत्रिक का तंत्र नहीं चला और मंदिरों के शिखर नष्ट होने से बच गए।