'मार्कण्डेय पुराण' के अनुसार दक्षिण दिशा के दिक्पाल और मृत्यु के देवता को ही यमराज कहा जाता है। दस दिशाओं के दिकपाल इस प्रकार हैं- इंद्र, अग्नि, यम, नऋति, वरुण, वायु, कुबेर, ईश्व, अनंत और ब्रह्मा।
यमराज का परिवार : विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा के गर्भ से उत्पन्न सूर्य के पुत्र को यम कहा गया है। इनकी पत्नी का नाम यमी है। इनका शस्त्र दंड और वाहन भैंसा है। चित्रगुप्त इनके सहयोगी है। इनके पिता का नाम सूर्य, बहन का नाम यमुना और भाई का नाम श्राद्धदेव मनु है।
यमराज का रूप : यमराज का पुराणों में विचित्र विवरण मिलता है। पुराणों के अनुसार यमराज का रंग हरा है और वे लाल वस्त्र पहनते हैं। यमराज भैंसे की सवारी करते हैं और उनके हाथ में गदा होती है।
यम के मुंशी : यमराज के मुंशी 'चित्रगुप्त' हैं जिनके माध्यम से वे सभी प्राणियों के कर्मों और पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त की बही 'अग्रसन्धानी' में प्रत्येक जीव के पाप-पुण्य का हिसाब है।
यमराज के नाम : यम का अर्थ होता है नियंत्रण और संयम। मृत्यु के देवता यमराज को धर्मराज भी कहा जाता है। यम के लिए पितृपति, कृतांत, शमन, काल, दंडधर, श्राद्धदेव, धर्म, जीवितेश, महिषध्वज, महिषवाहन, शीर्णपाद, हरि और कर्मकर विशेषणों का प्रयोग होता है। अंग्रेजी में यम को प्लूटो भी कहते हैं। एक धर्मशास्त्र का नाम भी यम है।
14 यमराज हैं : याद के अनुसार 14 यम माने गए हैं- यम, धर्मराज, मृत्यु, अन्तक, वैवस्वत, काल, सर्वभूतक्षय, औदुम्बर, दध्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त। 'धर्मशास्त्र संग्रह' के अनुसार 14 यमों को उनके नाम से 3-3 अंजलि जल तर्पण में देते हैं।