यक्ष, पुरुष तथा उनकी स्त्रियों को यक्षिणियां कहते हैं, ये एक प्रकार के प्रेत ही हैं जो भूमि में गड़े हुऐ गुप्त निधि खजाना) के रक्षक हैं, इन्हें निधि पति भी कहा जाता हैं। इनके सर्वोच्च स्थान पर निधि पति 'कुबेर' विराजित हैं तथा देवताओं के निधि के रक्षक हैं।
उत्लेखनीय है कि जब पाण्डव दूसरे वनवास के समय वन-वन भटक रहे थे तब एक यक्ष से उनकी भेंट हुई जिसने युधिष्ठिर से विख्यात 'यक्ष प्रश्न' किए थे। उपनिषद की एक कथा अनुसार एक यक्ष ने ही अग्नि, इंद्र, वरुण और वायु का घमंड चूर-चूर कर दिया था।यक्षिणी साधना के विषय में जानकारी मिलती है। प्रमुख रूप से आठ यक्षिणियों की पुराणों में चर्चा मिलती है। ये प्रमुख यक्षिणियां है - 1. सुर सुन्दरी यक्षिणी, 2. मनोहारिणी यक्षिणी, 3. कनकावती यक्षिणी, 4. कामेश्वरी यक्षिणी, 5. रतिप्रिया यक्षिणी, 6. पद्मिनी यक्षिणी, 7. नटी यक्षिणी और 8. अनुरागिणी यक्षिणी।