पाकिस्तान ने अपने सैन्य बल से 1965 में कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयास किया जिसके चलते फिर उसे मुंह की खानी पड़ी। इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई। हार से तिलमिलाए पाकिस्तान ने भारत के प्रति पूरे देश में नफरत फैलाने का कार्य किया और पाकिस्तान की समूची राजनीति ही कश्मीर पर आधारित हो गई मतलब कि सत्ता चाहिए तो कश्मीर को हथियाने की बात करो।
यह युद्ध हुआ तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री थे और पाकिस्तान में राष्ट्रपति जनरल अय्यूब खान थे। भारतीय फौजों ने पश्चिमी पाकिस्तान पर लाहौर का लक्ष्य कर हमले किए। अय्यूब खान ने भारत के खिलाफ पूर्ण युद्ध की घोषणा कर दी। 3 हफ्तों तक चली भीषण लड़ाई के बाद दोनों देश संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित युद्धविराम पर सहमत हो गए। भारतीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और अय्यूब खान के बीच ताशकंत में बैठक हुई जिसमें एक घोषणापत्र पर दोनों ने दस्तखत किए। इसके तहत दोनों नेताओं ने सारे द्विपक्षीय मसले शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का संकल्प लिया। दोनों नेता अपनी-अपनी सेना को अगस्त 1965 से पहले की सीमा पर वापस बुलाने पर सहमत हो गए। लालबहादुर शास्त्री की ताशकंत समझौते के एक दिन बाद ही रहस्यमय हालातों में मौत हो गई।