माना जाता है कि महाभारत के काल में ब्रह्मास्त्र छोड़े जाने के कारण यह सभ्यताएं नष्ट हो गई थी। ब्रह्मास्त्र की तुलना वर्तमान में परमाणु बम से की जाती है। हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम के कारण आज भी वहां रिडियो एक्टिविटी का असर है।
 
तदस्त्रं प्रजज्वाल महाज्वालं तेजोमंडल संवृतम।
सशब्द्म्भवम व्योम ज्वालामालाकुलं भृशम।
चचाल च मही कृत्स्ना सपर्वतवनद्रुमा।। महाभारत ।। 8-10-14 ।।
 
अर्थात : ब्रह्मास्त्र छोड़े जाने के बाद भयंकर वायु जोरदार तमाचे मारने लगी। भूतमात्र को भयंकर महाभय उत्पन्न हो गया। आकाश में बड़ा शोर  हुआ। आकाश जलने लगा। पर्वत, अरण्य, वृक्षों के साथ पृथ्वी हिल गई।
 
महाभारत का युद्ध आज से लगभग 5,300 वर्ष पूर्व हुआ था। उस दौरान गुरु द्रोण के पुत्र अश्‍वत्थामा ने भगवान कृष्ण के मना करने के बावजूद ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। अपने पिता के मारे जाने के बाद अश्चत्थामा बदले की आग में जल रहा था। उसने पांडवों का नाश करने की प्रतिज्ञा ली और चुपके से पांडवों के शिविर में जा पहुंचा और कृपाचार्य तथा कृतवर्मा की सहायता से उसने पांडवों के बचे हुए वीर महारथियों को मार डाला। केवल यही नहीं, उसने पांडवों के पांचों पुत्रों के सिर भी काट डाले। अंत में अर्जुन की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु की उसे याद आई।
 
पुत्रों की हत्या से दुखी द्रौपदी विलाप करने लगी। अर्जुन ने जब यह भयंकर दृश्य देखा तो उसका भी दिल दहल गया। उसने अश्वत्थामा के सिर को काटने की प्रतिज्ञा ली। अर्जुन की प्रतिज्ञा सुनकर अश्वत्थामा वहां से भाग निकला। श्रीकृष्ण को सारथी बनाकर अर्जुन ने उसका पीछा किया। अश्वत्थामा को कहीं भी सुरक्षा नहीं मिली तो अंत में उसने ऐषिका (अस्त्र छोड़ने का उपकरण) लेकर अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया। अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र चलाना तो जानता था, पर उसे लौटाना नहीं जानता था।
 
उस अतिप्रचंड तेजोमय अग्नि को अपनी ओर आता देख अर्जुन भयभीत हो गया और उसने श्रीकृष्ण से विनती की। श्रीकृष्ण बोले, 'है अर्जुन! तुम्हारे भय से व्याकुल होकर अश्वत्थामा ने यह ब्रह्मास्त्र तुम पर छोड़ा है। इस ब्रह्मास्त्र से तुम्हारे प्राण घोर संकट में हैं। इससे बचने के लिए तुम्हें भी अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना होगा, क्योंकि अन्य किसी अस्त्र से इसका निवारण नहीं हो सकता।'
 अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा, प्रत्युत्तर में अर्जुन ने भी छोड़ा। अश्वत्थामा ने पांडवों के नाश के लिए छोड़ा था और अर्जुन ने उसके ब्रह्मास्त्र को नष्ट करने के लिए। दोनों द्वारा छोड़े गए इस ब्रह्मास्त्र के कारण लाखों लोगों की जान चली गई थी।
 
इतना तो तय है कि इस काल में महाभारत का युद्ध इसी क्षेत्र में ही हुआ था। लोगों के बीच हिंसा, संक्रामक रोगों और जलवायु परिवर्तन ने करीब 4 हजार साल पहले सिन्धु घाटी या हड़प्पा सभ्यता का खात्मा करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी। 

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