हालांकि ऐसा तो पिछले सैकड़ों वर्षों से हैं। श्रीमद्मभागवत पुराणानुसार... 'सिंधु तट, चंद्रभाग का तटवर्ती प्रदेश, कौन्तीपुरी और कश्मीर मंडल पर प्राय: शूद्रों का संस्कार ब्रह्म तेज से हीन नाममात्र के द्विजों का और म्लेच्छों का राज होगा। सबके सब राजा आचार-विचार में म्लेच्छप्राय होंगे। वे सब एक ही समय में भिन्न-भिन्न प्रांतों में राज करेंगे।' उल्लेखनीय है कि यहां सिर्फ सिंधु नदी के तट की ही बात है।
प्राचीनकाल में 'म्लेच्छ' उसे कहते थे, जो हिन्दुकुश पर्वत के उस पार रहता था और जिसने घुसपैठ करके अफगानिस्तान के बहुत बड़े इलाके को अपने अधीन कर लिया था। आजकल लोग म्लेच्छ का अर्थ गलत निकालते हैं। इन लोगों का धर्म कुछ भी हो लेकिन ये जाति से सभी म्लेच्छ हैं।
अब आगे पढ़िए कश्मीर में ब्राह्मणों के साथ जो हुआ, 'ये दुष्ट लोग स्त्री, बच्चों, गौओं और ब्राह्मणों को मारने में भी नहीं हिचकेंगे। दूसरे की स्त्री और धन हथिया लेने में ये सदा उत्सुक रहेंगे। न तो इन्हें बढ़ते देर लगेगी और न घटते। इनकी शक्ति और आयु थोड़ी होगी | उनका धर्म सिर्फ सत्ता ही होगा। पूरे देश की यही हालत है।
राजधर्म तो लगभग समाप्त ही हो गया है तो ऐसी स्थिति में, 'वे लूट-खसोटकर अपनी प्रजा का खून चूसेंगे। जब ऐसा शासन होगा तो देश की प्रजा में भी वैसा ही स्वभाव, आचरण, भाषण की वृद्धि हो जाएगी। राजा लोग तो उनका शोषण करेंगे ही, आपस में वे भी एक-दूसरे को उत्पीड़ित करेंगे और अंत में सबके सब नष्ट हो जाएंगे।' -भागवत पुराण