कहते हैं कि गंगा नदी, केदारनाथ, बद्रीनाथ सहित सभी प्रमुख तीर्थ लुप्त हो जाएंगे और भविष्य में 'भविष्यबद्री' नाम का एक नया तीर्थ ही रहेगा। बद्रीनाथ की कथा के अनुसार सतयुग में देवताओं, ऋषि-मुनियों एवं साधारण मनुष्यों को भी भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन प्राप्त होते थे। इसके बाद आया त्रेतायुग। इस युग में भगवान सिर्फ देवताओं और ऋषियों को ही दर्शन देते थे, लेकिन द्वापर में भगवान पूर्ण रूप से विलीन ही हो गए। इनके स्थान पर एक विग्रह प्रकट हुआ। ऋषि-मुनियों और मनुष्यों को साधारण विग्रह से ही संतुष्ट होना पड़ा।
तस्यैव रूपं दृष्ट्वा च सर्वपापै: प्रमुच्यते।
जीवन्मक्तो भवेत् सोऽपि यो गतो बदरीबने।।
दृष्ट्वा रूपं नरस्यैव तथा नारायणस्य च।
केदारेश्वरनाम्नश्च मुक्तिभागी न संशय:।। -शिवपुराण
शास्त्रों के अनुसार सतयुग से लेकर द्वापर तक पाप का स्तर बढ़ता गया है और भगवान के दर्शन दुर्लभ हो गए। द्वापर के बाद आया कलियुग, जो वर्तमान का युग है।