भारतीय महिलाओं में सबसे विराट व्यक्तित्व है मां पार्वती का। दुनियाभर की महिलाओं के लिए वे आदर्श और प्रेरणास्रोत हैं। माता सती ने ही पार्वती के रूप में दूसरा जन्म लिया था। पहले जन्म में वे ब्रह्मा के पुत्र दक्ष की पुत्री थी और उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था। बाद में दक्ष द्वारा शिव के अपमान के चलते उन्होंने यज्ञ में कूदकर अपनी जान दे दी थी | दूसरे जन्म में उन्होंने हिमालयराज के यहां जन्म लिया और पार्वती कहलाई। पार्वती इसलिए की वह पर्वतराज की राजकुमारी थीं। आज भी वह पर्वतों की रानी है। इस जन्म में भी उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया।
माता सती और उनके दूसरे जन्म की गाथा देवी भागवत पुराण में दर्ज है। वे धरती पर ही कश्मीर के क्षेत्र में रहती थी। ऋषि कश्यप के साथ मिलकर उन्होंने कई असुरों का वध भी किया था। आज भी संपूर्ण हिमालय के पर्वत क्षेत्र की वही माता रक्षा करती है। उन्हें पहाड़ों की देवी कहा जाता है।
शिव की पत्नी मां पार्वती का ध्यान करना ही सही मार्ग है। अन्य किसी देवी का ध्यान शाक्त धर्म के विरुद्ध है। वहीं जगदम्बा, उमा, गौरी, कालका और सती हैं। इनके दो पुत्र हैं गणेश और कार्तिकेय तथा एक पुत्री है वनमाला।