गांधार देश के सुबल नामक राजा की कन्या होने के कारण धृतराष्ट्र की पत्नी को गांधारी कहा जाता था। गांधारी ने जब सुना कि उसका भावी पति अंधा है तो उसने भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली जिससे कि पतिव्रत धर्म का पालन सही से कर पाए। यह पट्टी उसने आजन्म बांधे रखी। गांधारी पतिव्रता के रूप में आदर्श थीं।
शिव के वरदान से गांधारी के 100 पुत्र हुए, जो कौरव कहलाए। गांधारी दुर्योधन आदि की माता थी। महाभारत युद्ध के बाद गांधारी अपने पति के साथ वन में गई और वहां दावाग्नि में पति के साथ भस्म हो गईं।
महाभारत युद्ध में अपने सभी पुत्रों की मृत्य से गांधारी द्रवित हो उठी। वह अपने सभी पुत्रों के शव के पास बैठकर विलाप करती रही और उसने श्रीकृष्ण से कहा- 'मेरे पतिव्रत में बल है तो शाप देती हूं कि यादव वंशी समस्त लोग परस्पर लड़कर मर जाएंगे। तुम्हारा वंश नष्ट हो जाएगा, तुम अकेले जंगल में अशोभनीय मृत्यु प्राप्त करोगे, क्योंकि कौरव-पांडवों का युद्ध रोक लेने में एकमात्र तुम ही समर्थ थे और तुमने उन्हें रोका नहीं। तुम्हारे देखते-देखते कुरु वंश का नाश हो गया।'
गांधारी पतिव्रता थी और उनका शाप फलित हुआ।