भगवान कृष्ण की माता देवकी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष जेल में ही बिता दिए और कृष्ण को जिस माता ने पाला उनका नाम था यशोदा। इतिहास में देवकी की कम लेकिन यशोदा की चर्चा ज्यादा होती है, क्योंकि उन्होंने ही कृष्ण को बेटा समझकर पाल-पोसकर बड़ा किया और एक आदर्श मां बनकर इतिहास में अजर-अमर हो गई। माता पार्वती और माता यशोदा जैसी मां को ढूंढना मुश्किल है।
कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव (कृष्ण के पिता) जन्म के बाद आधी रात में ही कृष्ण को यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया। यशोदा नंद की पत्नी थीं। महाभारत और भागवत पुराण में बालक कृष्ण की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखन चोरी और उनको यशोदा द्वारा ओखल से बांध देने की घटनाओं का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है। यशोदा ने बलराम के पालन-पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे। उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था।
ब्रजमंडल में सुमुख नामक गोप की पत्नी पाटला के गर्भ से यशोदा का जन्म हुआ। उनका विवाह गोकुल के प्रसिद्ध व्यक्ति नंद से हुआ। भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, ऊखल बंधन, कालिया उद्धार, पूतना वध, गोचारण, धेनुक वध, दावाग्नि पान, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख दिया। इस प्रकार 11 वर्ष 6 महीने तक माता यशोदा के महल में कृष्ण की लीलाएं चलती रहीं। इसके बाद कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए अक्रूरजी आ गए। यह घटना यशोदा के लिए बहुत ही दुखद रही। यशोदा विक्षिप्त-सी हो गईं क्योंकि उनका पुत्र उन्हें छोड़कर जा रहा था।
दूसरे के पुत्र को अपने कलेजे के टुकड़े जैसा प्यार और दुलार देकर यशोदा ने एक आदर्श चरित्र का उदाहरण प्रस्तुत किया। यशोदा का जीवन सिर्फ इतना ही नहीं है। धार्मिक ग्रंथों में उनके जीवन से जुड़ी कई घटनाएं और उनके पूर्व जन्म की कथाएं भी मिलती हैं।