हिन्दू धर्म में एकादशी को विष्णु से तो प्रदोष को शिव से जोड़ा गया है। हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है। आपका ईष्ट कोई भी हो आप यह दोनों ही व्रत रख सकते हैं। जरूरी नहीं है कि प्रदोष रखते वक्त शिव की ही उपासना करें। दोनों ही व्रतों का संबंध चंद्र के सुधारने और भाग्य को जाग्रत करने से है इसीलिए किसी भी देवता का पूजन करें।
हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार का प्रदोष, मंगलवार को आने वाला प्रदोष और अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है।