सप्तमी : सप्तमी के स्वामी सूर्य और इसका विशेष नाम मित्रपदा है। शुक्रवार को पड़ने वाली सप्तमी मृत्युदा और बुधवार की सिद्धिदा होती है। आषाढ़ कृष्ण सप्तमी शून्य होती है। इस दिन को किए गए कार्य अशुभ फल देते हैं।
अष्टमी : इस आठम या अठमी भी कहते हैं। कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है। मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार की मृत्युदा होती है। इसकी दिशा ईशान है।
नवमी : यह चैत्रमान में शून्य संज्ञक होती है और इसकी दिशा पूर्व है। शनिवार को सिद्धदा और गुरुवार को मृत्युदा। अर्थात शनिवार को किए गए कार्य में सफलता मिलती है और गुरुवार को किए गए कार्य में सफलता की कोई गारंटी नहीं।
दशमी : शनवार को दशमी मृत्युदा और गुरुवार को सिद्धिदा होती है। अश्विन माह में दशमी शून्य संख्यक होकर शुभकार्यों के लिए वर्जित है। इसकी दिशा उत्तर है।
द्वादशी : इसे बारस भी कहते हैं। इसकी दिशा नैऋत्य है। इसका नाम यशोबला और इसकी संज्ञा 'भद्रा' है। सोमवार को मृत्युदा और बुधवार को सिद्धिदा होती है। रविवार को मध्यम फल देने वाली होती है।
चतुर्दशी : चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। यह रिक्ता संज्ञक है एवं इसे क्रूरा भी कहते हैं। इसीलिए इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित है। इसकी दिशा पश्चिम है।