गणेश वंदना

मंगलदायक हे गणनायक, 
गौरीनंदन अष्टविनायक।
स्वागत मेरे द्वार तुम्हारा।।
प्रथमपूज्य तुम बालचंद्र हो,
गौरीसुता तुम ही हरिंद्र हो।
हे लंबोदर मंगलमूर्ति स्वागत मेरे द्वार तुम्हारा।।
शुभम ,स्वेत तुम सिद्धप्रिय हो,
भीमा ,भूपति ,बुद्धिप्रिय हो।
एकदंत हे महागणपति स्वागत मेरे द्वार तुम्हारा।।
विणागणपति,विघ्नविनाशक,
सशिवर्णनंम हे सिद्धिविनायक।
मृत्युंजय तुम बालगणपति,स्वागत मेरे द्वार तुम्हारा।।
रुद्रप्रिय तुम मुशिकवाहना,
बुद्धिप्रिय तुम घुमरावर्णा।
हे यशवासिन ,विरागणपति,स्वागत मेरे द्वार तुम्हारा।।
पूरे हो संकल्प हमारे,
कृपा करो हे शिव के दुलारे।
उमापुत्र हे जगउद्धारक स्वागत मेरे द्वार तुम्हारा।।
मंगलदायक हे गणनायक स्वागत मेरे द्वार तुम्हारा।।।

लेखक, 
मुक्तकंठ,
जितेंद्र राय