श्रीनिवास एस आर वरदान

श्रीनिवास एस आर वरदान एकभारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ है जिनको २००७ में एबेल पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। उन्हें सन २००८ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया था।
सत्यमंगलम रंगा आयंगर श्रीनिवास वरदान एफआरएस एक भारतीय अमेरिकी गणितज्ञ हैं, जिन्हें संभाव्यता सिद्धांत और विशेष रूप से बड़े विचलन के एकीकृत सिद्धांत बनाने के लिए उनके मौलिक योगदान के लिए जाना जाता है। 

सलीम रिज़वी
न्यूयॉर्क
भारतीय प्रोफेसर को ' एबेल' पुरस्कार
भारतीय मूल के एक अमरीकी प्रोफ़ेसर को प्रतिष्ठित 'एबेल' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार गणित विषय का नोबेल पुरस्कार माना जाता है.

यह पहला मौका है कि एबेल पुरस्कार किसी भारतीय मूल के गणितज्ञ को मिला है.

गणित के प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन को नार्वे की विज्ञान एवं साहित्य अकादमी ने गणित से संबंधित संभावना सिद्वांत ( प्रोबेबिलिटी थ्योरी ) और विशेषकर बड़े अंतर के एकीकृत सिद्वांत के प्रति उनके मूल योगदान के लिए वर्ष 2007 का एबेल पुरस्कार दिया है.

संभावना सिद्वांत अवसर पर आधारित परिस्थितियों के विश्लेषण या आंकलन का गणितीय उपकरण या माध्यम माना जाता है.

18वीं शताब्दी में खोजे गए विशाल संख्याओं संबंधी इस नियम के अनुसार एक दिए हुए स्तर से आगे अंतर की संभावना शून्य हो जाती है और बड़े अंतरों के सिद्वांत में दुर्लभ घटनाओं के घटित होने का अध्ययन किया जाता है.

इस विषय का भौतिक शास्त्र, जीव विज्ञान, अर्थशास्त्र, सांख्यिकी शास्त्र और यहां तक की कंप्यूटर साईंस और इंजीनियरिंग जैसे विविध क्षेत्रों में भी प्रयोग होता है.

प्रोफ़ेसर वर्धन को सामान्य सिद्वांतों की खोज करने में कोई तीस साल लगे और तब जाकर वह स्वतंत्र परिक्षणों की परंपरागत सेटिंग से आगे निकलकर इन सिद्वांतों की ज़बर्दस्त संभावनाओं को उजागर कर पाए.

प्रोफ़ेसर वर्धन के बड़े अंतरों के सिद्वांत से क्वांटम फ़ीलड थ्योरी, सांख्यिक भौतिक शास्त्र, जनसंख्या डायनेमिक्स, फाईनेंस और यातायात इंजीनियरिंग जैसे विविध क्षेत्रों में जटिल प्रणालियों को स्पष्ट करने का एकीकृत तरीका उपलब्ध हुआ.

गुरूवार को न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के गणित विभाग में आयोजित एक कार्यक्रम में नार्वे की प्रतिनिधि मोर्च फ़िंबोरोड ने प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन को इस सम्मान के लिए चुने जाने की घोषणा की.

भारत के चेन्नई में जन्में प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन 1963 में उच्च शिक्षा के लिए अमरीका आ गए थे और तब से यहीं रह रहे हैं.

इस समय वह न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के गणित विभाग के निदेशक भी हैं.

पुरस्कार की घोषणा किए जाने के बाद प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन ने अपनी खुशी का इज़हार करते हुए कहा, “ विश्व में बहुत से बेहतरीन गणितज्ञ मौजूद हैं. मैं तो अपने आप को खुशकिस्मत समझता हूं कि मुझे इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं.”

नार्वे की अकादमी का कहना है कि प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन के काम के कारण विश्व में कंप्यूटर के प्रयोग में बढ़ोतरी और आसानी हुई है.

अकादमी के तामपत्र पर लिखा गया है कि – वर्धन के शोघकार्य में असीम धारणागत शक्ति है और शाश्वत सौंदर्य भी है. उनके विचार बेहद प्रभावी रहे हैं और लंबे समय तक आगे अनुसंधान तथा शोधकार्य जारी रखने की प्रेरणा देते रहेंगे.

यह पुरस्कार सन 2003 में स्थापित किया गया था. और इसे नार्वे के एक 19वीं सदी के गणित विशेषज्ञ नीयल्स एबेल के नाम पर रखा गया है.

प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन को 22 मई को ओसलो में नार्वे के राजा हेरल्ड के हाथों एबेल पुरस्कार दिया जाएगा. इस पुरस्कार में 9 लाख डॉलर के करीब राशि शामिल होती है.

प्रोफेसर रघु

अपने दोस्तों के बीच रघु के नाम से जाने जाने वाले प्रोफेसर वर्धन के बारे में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के अध्यक्ष जॉन सेक्सटन कहते हैं, “हमें रघु पर गर्व है. वह सिर्फ़ एक बेहतरीन गणित विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि एक बहुत अच्छे अध्यापक, और बेहतरीन इंसान भी हैं. यह पुरस्कार उनकी काबिलियत और मेहनत का ही सिला है और वह पूरी तरह इसके हकदार भी हैं.”

इससे पहले भी प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. जिनमें बर्कॉफ़ पुरस्कार, मार्ग्रेट सोकोल पुरस्कार औऱ लेरॉय स्टील पुरस्कार शामिल हैं.

प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन कई अमरीकी विज्ञान संस्थाओं के सदस्य भी हैं जिनमें अमरीका की राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी और अमरीकी गणित सोसाईटी जैसी संस्थाएं भी शामिल हैं.

इसके अलावा भारत से अब भी अपना नाता जोड़े हुए प्रोफ़ेसर श्रीनिवास वर्धन भारतीय विज्ञान अकादमी के भी सदस्य हैं. यही नहीं उनकी यह भी ख्वाहिश है कि वह भारत में उभरते हुए वैज्ञानिकों को पढ़ाने का काम करने भी जाएं.

प्रोफ़ेसर वर्धन का कहना है, “ वैसे तो मैं बराबर भारत जाता रहता हूं, लेकिन अब मैं कुछ दिनों की छुट्टी लेकर भारत जाकर पढ़ाने का भी काम करूंगा. ”

भारत में वैज्ञानिकों के भविष्य को बेहतरीन बताते हुए प्रोफ़ेसर वर्धन कहते हैं कि भारत में बहुत से बेहतरीन वैज्ञानिक हुए हैं और अब भी वह सिलसिला जारी है. वह कहते हैं कि कुछ संस्थानों ने भारत में बेहतरीन वैज्ञानिक पैदा किए हैं जिनमें से कुछ अमरीका भी आ जाते हैं और यहां भी भारत का नाम रौशन करते हैं.

हालांकि प्रोफ़ेसर वर्धन का यह भी मानना है कि भारत में अच्छे संस्थानों की कमी को दूर करना चाहिए और शिक्षा प्रणाली में ऐसे बदलाव लाए जाने चाहिए जिसमें छात्रों को एक साथ ही साईंस औऱ आर्टस के विभिन्न विषयों का अध्ययन करने की छूट हो.

67 वर्ष के प्रोफ़ेसर वर्धन ने भारत के मद्रास विश्विद्यालय से ही एम ए की डिग्री हासिल की और कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी इंस्टीट्यूट से पी एच डी की डिग्री ली.

न्यू यॉर्क में ग्यारह सितंबर के हमलों का सीधा असर प्रोफ़ेसर वर्धन पर भी पड़ा था जब उनका बेटा गोपाल वर्धन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले का शिकार हो गया था.