<p dir="ltr">१) बेटियों की जिन्दगी की दास्तान अजीब होती है दुख भरे इनके नसीब होते है, बेटियों की जिन्दगी में अजीब मोड़ होते है जिनके कितने ही तोड़ होते है बेटियों की जिन्दगी की दास्तां अजीब होती है, अजीब होती है।</p>
<p dir="ltr">        २) बेटियां जन्म किसी घर में लेती हैं बसेरा किसी और घर में कर लेती है ,जब बेटी पैदा होती है एक  दुख की घटा मां बाप के चहेरे पे होती है,न जाने बेटी होने पर कितनी ही चिंता में मां बाप घिर जाते है,यही बेटियों की जिन्दगी की दास्तां होती है, होती है।</p>
<p dir="ltr">३) बेटी पैदा होने के कुछ पल बाद हर चिंता के साथ मां बाप बेटी को अपनाते है हर पल बेटी को न भूलाते है लाड़ प्यार से उसे पालते है हर ख्वाहिश उसकी पूरी कर दिखलाते हैं , बेटी के  हंसने पर  हंस देते है बेटी के रोने पर रो लेते है,पर कभी भी बेटी को अपना दुख न बतलाते हैं न उसे जताते है कि तू बेटी है हमारी,हर पल बेटा  बना बेटी को जीना सिखलाते है यही बेटियों की जिन्दगी की दास्तां होती है, अजीब दास्तां होती है।</p>
<p dir="ltr">       ४)पल - पल, बितते -बितते एक पल ऐसा आता है जिस पर की चिंता मां बाप को होती है आखिर वह पल आ ही जाता है जब बेटी होती पराई है ,अपने ही घर से हो जाती उसकी विदाई है छोड़ सभी  अपने रिशतो को  जोड़ नव रिश्तो को चल देती वह पुरवाई है ,यही बेटियों की जिनदगी की दासता होती है, अजीब दासता होती है। </p>
<p dir="ltr">                ५)अपना अनजाने लोगों को बेटियां नव रिश्ते बनाती है जिसे वह जी -जान  से निभाती है आपनो के लिए पराई वह कहलाती है यही बेटियों की जिनदगी की दास्तान होती है, अजीब दासता होती है।</p>
<p dir="ltr">६)बेटियां अनजानो को अपना बना खुद बन जाती अनजानी न वह अपनो की रह पाती न बेगानों की बन पाती, जितना भी करें फिर भी दुखो मे अपने को घिरा पाती फिर भी मां बाप को कुछ  न बतलाती खुश हूं मैं हर पल यही जतलाती जिनदगी अपनी वह दुखो की आंच पर सहलाती फिर भी हर पल मुसकरा अपना फजँ  निभाती यही बेटियों की जिनदगी की दास्ता होती है, अजीब दासता होती है।</p>
<p dir="ltr">        २) बेटियां जन्म किसी घर में लेती हैं बसेरा किसी और घर में कर लेती है ,जब बेटी पैदा होती है एक  दुख की घटा मां बाप के चहेरे पे होती है,न जाने बेटी होने पर कितनी ही चिंता में मां बाप घिर जाते है,यही बेटियों की जिन्दगी की दास्तां होती है, होती है।</p>
<p dir="ltr">३) बेटी पैदा होने के कुछ पल बाद हर चिंता के साथ मां बाप बेटी को अपनाते है हर पल बेटी को न भूलाते है लाड़ प्यार से उसे पालते है हर ख्वाहिश उसकी पूरी कर दिखलाते हैं , बेटी के  हंसने पर  हंस देते है बेटी के रोने पर रो लेते है,पर कभी भी बेटी को अपना दुख न बतलाते हैं न उसे जताते है कि तू बेटी है हमारी,हर पल बेटा  बना बेटी को जीना सिखलाते है यही बेटियों की जिन्दगी की दास्तां होती है, अजीब दास्तां होती है।</p>
<p dir="ltr">       ४)पल - पल, बितते -बितते एक पल ऐसा आता है जिस पर की चिंता मां बाप को होती है आखिर वह पल आ ही जाता है जब बेटी होती पराई है ,अपने ही घर से हो जाती उसकी विदाई है छोड़ सभी  अपने रिशतो को  जोड़ नव रिश्तो को चल देती वह पुरवाई है ,यही बेटियों की जिनदगी की दासता होती है, अजीब दासता होती है। </p>
<p dir="ltr">                ५)अपना अनजाने लोगों को बेटियां नव रिश्ते बनाती है जिसे वह जी -जान  से निभाती है आपनो के लिए पराई वह कहलाती है यही बेटियों की जिनदगी की दास्तान होती है, अजीब दासता होती है।</p>
<p dir="ltr">६)बेटियां अनजानो को अपना बना खुद बन जाती अनजानी न वह अपनो की रह पाती न बेगानों की बन पाती, जितना भी करें फिर भी दुखो मे अपने को घिरा पाती फिर भी मां बाप को कुछ  न बतलाती खुश हूं मैं हर पल यही जतलाती जिनदगी अपनी वह दुखो की आंच पर सहलाती फिर भी हर पल मुसकरा अपना फजँ  निभाती यही बेटियों की जिनदगी की दास्ता होती है, अजीब दासता होती है।</p>