तीन मंदिर
बोरोबुदुर योग्यकर्ता से लगभग 40 किलोमीटर (25 मील) दूर, एवं सुरकर्ता से 86 किलोमीटर (53 मील) दूर स्थित है। यह दो जुड़वां ज्वालामुखियों, सुंदोरो-सुम्बिंग और मेर्बाबू-मेरापी एवं दो नदियों प्रोगो और एलो के बीच एक ऊंचा क्षेत्र पर स्थित है। स्थानीय मिथक के अनुसार, केडू मैदान के रूप में जाना जाने वाला यह क्षेत्र जावा के "पवित्र" स्थलों में से एक है और इस क्षेत्र की उच्च कृषि उर्वरता के कारण इसे "द गार्डन ऑफ़ जावा" यानी "जावा का बगीचा" भी कहा जाता है। 20वीं सदी में मरम्मत कार्य के दौरान यह पाया गया कि इस क्षेत्र के तीनो बौद्ध मंदिर, बोरोबुदुर, पावोन और मेंदुत, एक सीधी रेखा में स्थित हैं। ऐसा माना जाता है कि तीनों मंदिर किसी रस्म प्रक्रिया से जुड़े थे, हालांकि प्रक्रिया क्या थी, यह अज्ञात है।
बोरोबुदुर का निर्माण समुद्र तल से 265 मी॰ (869 फीट) की ऊंचाई पर एक चट्टान पर, एक सूखे झील की सतह से 15 मी॰ (49 फीट) ऊपर किया गया था। इस प्राचीन झील के अस्तित्व का मुद्दा 20वीं सदी में पुरातत्वविदों के बीच गहन चर्चा का विषय था। 1931 में, एक डच कलाकार एवं हिंदू और बौद्ध वास्तुकला विद्वान, डब्ल्यू॰ ओ॰ जे॰ नियूवेनकैम्प द्वारा विकसित सिद्धांत के अनुसार केडू प्लेन प्राचीन काल में एक झील हुआ करता था और बोरोबुदुर शुरू में इसी झील पर तैरते एक कमल के फूल की अभिवेदना थी।