बनना है कुछ तो, बनाए रख आत्मबल।
डर मत किसी से, तू बस एक काम कर,
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
कौन हरा सकता है तुझे, भला,
गर खायी है, कसम मर मिटने का।
वक्त भी देता, साथ उसका,
जो ठान लिया कुछ कर दिखाने का।
करना है कुछ, तो बस एक काम कर।
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
सोने नहीं देती सपना, जिसे,
उसे भला, क्या 'निशा' सुलाएगी।
जो डटा है बनने को 'कुन्दन'
'पावक' उसे, क्या जलाएगी।
उठता रहा जो, खाकर बार-बार ठोकर,
भर के 'जूनून' चला वही, मंजिल की राह पड़।
बढना है गर तुझे, तो बढाए रख आत्मबल।
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
ठोकरें है 'गुरूजी' तो दुनिया क्या सिखाएगा,
उठा है 'धुआँ' राख से, वह आसमां तक, जाएगा।
'मंजिल' है आसान, रख तू दिल में हौसला,
भटक मत, डगर पे बस तू चलता जा।
पाना है मंजिल तुझे, तू ' एक ' काम कर,
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
बढता जा तू , 'अविचल' होकर, डरना नहीं 'तूफानों' से।
भरे पड़े हैं "इतिहास के पन्नें", ऐसे "वीर-महानों" से।
'है दम' तो बढ़के आगे, तू हुंकार भर,
होगी तेरी "मुट्ठी में दुनियां" बस तु ये काम कर।
बनाए रख "आत्मबल" बनाए रख "आत्मबल"।
- गौतम गोविन्द