बौद्ध धर्म में संघ का बडा स्थान है। इस धर्म में बुद्ध, धम्म और संघ को 'त्रिरत्न' कहा जाता है। संघ के नियम के बारे में गौतम बुद्ध ने कहा था कि छोटे नियम भिक्षुगण परिवर्तन कर सकते है। उन के महापरिनिर्वाण पश्चात संघ का आकार में व्यापक वृद्धि हुआ। इस वृद्धि के पश्चात विभिन्न क्षेत्र, संस्कृति, सामाजिक अवस्था, दीक्षा, आदि के आधार पर भिन्न लोग बुद्ध धर्म से आबद्ध हुए और संघ का नियम धीरे-धीरे परिवर्तन होने लगा। साथ ही में अंगुत्तर निकाय के कालाम सुत्त में बुद्ध ने अपने अनुभव के आधार पर धर्म पालन करने की स्वतन्त्रता दी है। अतः, विनय के नियम में परिमार्जन/परिवर्तन, स्थानीय सांस्कृतिक/भाषिक पक्ष, व्यक्तिगत धर्म का स्वतन्त्रता, धर्म के निश्चित पक्ष में ज्यादा वा कम जोड आदि कारण से बुद्ध धर्म में विभिन्न सम्प्रदाय वा संघ में परिमार्जित हुए। वर्तमान में, इन संघ में प्रमुख सम्प्रदाय या पंथ थेरवाद, महायान और वज्रयान है। भारत में बौद्ध धर्म का नवयान संप्रदाय है जो पुर्णत शुद्ध, मानवतावादी और विज्ञानवादी है।

थेरवाद

    श्रावकयान
    प्रत्येकबुद्धयान
    थेरवाद बुद्ध के मौलिक उपदेश ही मानता है।
    श्रीलंका, थाईलैंड, म्यान्मार, कम्बोडिया, लाओस, बांग्लादेश, नेपाल आदी देशों में थेरवाद बौद्ध धर्म का प्रभाव हैं।

महायान

    महायान बुद्ध की वास्तविक शिक्षाओं का पालन नही करता ।
    बुद्ध के अलावा हजारों बोधिसत्व की पूजा करता है।
    बोधिसत्त्वयान
    बोधिसत्त्वसुत्रयान
    बोधिसत्त्वतन्त्रयान / वज्रयान
    महायान में बुद्ध की पूजा करता है।
    चीन, जापान, उत्तर कोरिया, वियतनाम, दक्षिण कोरिया आदी देशों में प्रभाव हैं।

वज्रयान

    वज्रयान को तिब्बती तांत्रिक धर्म भी कहां जाता हैं।
    भूटान में राष्ट्रधर्म
    भूटान, तिब्बत और मंगोलिया में प्रभाव

नवयान

    बुद्ध के मूल सिद्धांतों का अनुसरण
    महायान, वज्रयान, थेरवाद के कई शुद्ध सिद्धांत
    अंधविश्वास नहीं हैं।
    विज्ञानवाद पर विश्वास
    भारत में (मुख्यत महाराष्ट्र में) प्रभाव



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