सहेलियां साजन घर आया हो।
बहोत दिनां की जोवती बिरहिण पिव पाया हो॥

रतन करूं नेवछावरी ले आरति साजूं हो।
पिवका दिया सनेसड़ा ताहि बहोत निवाजूं हो॥

पांच सखी इकठी भ मिलि मंगल गावै हो।

पिया का रली बधावणा आणंद अंग न मावै हो।

हरि सागर सूं नेहरो नैणां बंध्या सनेह हो।
मरा सखी के आगणै दूधां बूठा मेह हो॥
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