एक राजा था उसके आलिशान महल के पिछे बहुत सुन्दर बगीचा बनाया गया था । उसमे अनेक प्रकार के फलों के साथ आम के वृक्ष थे । सभी पेड़ पोैधे स्वदिस्ष्ट फलो से बहराते रहते थे । उसका आनंद राजा शाम में लिया करता था । एक दिन एक नर हिरन को बगीचे का पता लगता है । तब वह बारी बारी से दोपहर आकर फूल पोैधे और फलो को तहस नहस करके बर्बाद करके और खाकर चले जाने लगता है ।
जब राजा को यह पता लगता है तब वह उस नर हिरन को पकड़ने का आदेश देता है पर उसे कोई पकड़ नहीं पाता । सारे सैनिक हैरान रह जाते है । कुछ दिन बाद माली जब राजा के पास आता है तो राजा सब बात उसे समज़ाता है ।
माली कहता है के वह हिरन को अकेले ही पकड़ देगा बस उसे कुछ सामान की जरुरत पड़ेगी । राजा सब सहयोग पहुचाने का बंदोबस्त करता है ।
कुछ दिन बाद राजा काम काज निपटाकर कर जब वापस शाम को बगीचे में देखता है की माली ने हिरन को रस्सी से बाँध दिया है । तब राजा कहता है "तुमने अकेले ने यह काम कैसे किया । "
तब माली कहता है वह हर रोज घास पर शहद फैला दिया करता था । इससे उस हिरन को इतनी चटक पड गयी के हिरन रोज घास खाने आने लगा । जब वह उसे पकड़ने गया तो हिरन भागा भी नहीं क्योकि उसे वह शहद से युक्त घास इतनी प्रिय है की उसने अपनी जान की परवाह भी नहीं की ।