एक जंगल में एक शेर रहता था | उसका बड़ा डाम डौल था | वह बड़ा ही सुन्दर , चमकदार और युवा शेर था | उसका लोहा हर कोई मनाता था | उकसी बहुत तारीफ होती रहती थी जो भी उसे एक बार देखता था | उससे कोई भी शत्रुता नहीं करता था क्योंकि इतना साहस लाना कठिन था | एक बार शेर घूमते घूमते एक कीचड़ के पास आ गया वह बहुत ठंडा महसूस कर रहा था वहापर भरी गर्मी में !
अचानक से झाड़ियो में से एक सुवर बहार निकल आया और शेर को गालिया बकने लगा | शेर को यह देखकर बहुत ग़ुस्सा आया | शेर ने उसे लड़ने की चुनौती दी | पर बाद में सुवर का दिमाग ठिकाने आ गया तो उसने बात को टालने केलिए अगले दिन आने को कहा | इधर सुवर बड़ा डर गया था , उसको खुद के बर्ताव पर पछतावा हो रहा था | वह रात भर सो नहीं पाया |
यह देखकर एक बन्दर ने उसे सुझाव दिया की वह कीचड़ में रेंगकर उसमे नहाये और पूरा कीचड़ शरीर पे लगा दे | दूसरे दिन शेर लड़ने केलिए आया | लेकिन वहा पर वह उसने सुवर को कीचड़ से लथपथ पाया | उससे बदबू भी आ रही थी | जंगल के अलग अलग प्राणी भी आये थे मुकाबला देखने |
सुवर डरा हुवा था लेकिन वह कीचड़ में खड़े रहकर शेर को चुनौती दे रहा था | शेर तो अचंभित रह गया था सुवर का दुःसाहस देखकर | लेकिन पल भर में शेर के ख़याल में आया के वह खुद इतना साफ़ सुथरा है और सुवर इतना गन्दा और भद्दा है , उससे लड़कर उसका शरीर भी गन्दा हो जायेगा | आखिर सुवर से मुकाबला जितकर उसे क्या खास रुतबा मिलेगा ! , उल्टा मजाक होगा अगर वह भी कीचड़ में गन्दा हो पड़े |
यह सोचकर वह शेर बिना लड़ाई किये वहा से वैसे ही लोट गया |