<p dir="ltr">ढ़ूंढ़ता रहा हूँ मैं,वो बीते पल।<br>
वो मस्तीयाँ,वो बचपन।<br>
सफर था सुहाना,थी मदहोशियाँ।<br>
ना कोई मंजिल,ना कोई गम।<br>
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....<br>
सासों से बन्धी,थी वो यारियां।<br>
लड़ते-झगड़ते,यूं पड़ होती ना दूरियां।<br>
थे साथ हम,बन हम सफर।<br>
कहां गये वो जाने चमन।<br>
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....<br>
पलके,बिछाए रखा हूँ अपना।<br>
रैनों में,मिलने का आता है सपना।<br>
खफा है अभी भी,वो शायद।<br>
तड़पता है फिर भी,मेरा पागल मन।<br>
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....<br>
- गौतम गोविन्द</p>
वो मस्तीयाँ,वो बचपन।<br>
सफर था सुहाना,थी मदहोशियाँ।<br>
ना कोई मंजिल,ना कोई गम।<br>
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....<br>
सासों से बन्धी,थी वो यारियां।<br>
लड़ते-झगड़ते,यूं पड़ होती ना दूरियां।<br>
थे साथ हम,बन हम सफर।<br>
कहां गये वो जाने चमन।<br>
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....<br>
पलके,बिछाए रखा हूँ अपना।<br>
रैनों में,मिलने का आता है सपना।<br>
खफा है अभी भी,वो शायद।<br>
तड़पता है फिर भी,मेरा पागल मन।<br>
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....<br>
- गौतम गोविन्द</p>