<p dir="ltr">सच पूछो तो सारे जग में,<br>
अति अनूप माँ का नाम है।<br>
माँ तो ममता की खान है,<br>
इनकी कृपा पे टिका जहान हैं।<br>
कहीं इनके स्वरों में मीठास,<br>
तो कहीं वीणा में तान है।<br>
माँ सा दुनियाँ में दूजा न नाम है।<br>
सच पूछो तो....<br>
माँ के आखों में प्यार,<br>
हाथो में वरदान है।<br>
इनके ज्योति से दुनियाँ रौशन,<br>
इनके चरणों में चारों धाम है।<br>
सच पूछो तो....<br>
माँ ही श्रृष्टि का सृजन करती,<br>
और अन्त में करती संघार।<br>
माँ ही सब दीनों का दान है,<br>
माँ के श्री चरणों में मेरा प्रणाम है।<br>
सच पूछो तो....<br>
- गौतम गोविन्द</p>
अति अनूप माँ का नाम है।<br>
माँ तो ममता की खान है,<br>
इनकी कृपा पे टिका जहान हैं।<br>
कहीं इनके स्वरों में मीठास,<br>
तो कहीं वीणा में तान है।<br>
माँ सा दुनियाँ में दूजा न नाम है।<br>
सच पूछो तो....<br>
माँ के आखों में प्यार,<br>
हाथो में वरदान है।<br>
इनके ज्योति से दुनियाँ रौशन,<br>
इनके चरणों में चारों धाम है।<br>
सच पूछो तो....<br>
माँ ही श्रृष्टि का सृजन करती,<br>
और अन्त में करती संघार।<br>
माँ ही सब दीनों का दान है,<br>
माँ के श्री चरणों में मेरा प्रणाम है।<br>
सच पूछो तो....<br>
- गौतम गोविन्द</p>