एक दिन एक घोड़ा व्यापारी एक विदेशी, कृष्णदेव राया की अदालत में आयाऔर उसे कहा कि वह बिक्री के लिए कुछ ठीक घोड़ों की थी. सम्राट उन्हें खरीदने की पेशकश की. आदमी 5000 सोने के सिक्कों की एक अग्रिम लियाऔर दो दिन में घोड़ों के साथ वापसी का वादा किया, दूर चला गया. उस शामकृष्णदेव राया देखा रमन कागज के एक पत्रक पर लेखन.
"आप क्या कर रहे हैं? लेखन" उन्होंने पूछा.
"मैं साम्राज्य में सबसे बड़ा मूर्खों की एक सूची बना रहा हूँ" रमन ने कहा.
सम्राट को सूची के शीर्ष पर अपना नाम देखने के लिए चकित था.
"क्या इस का अर्थ क्या है?" उन्होंने मांग की है. "आपको लगता है कि मैं एकमूर्ख हूँ!"
"कोई भी आदमी है जो 5000 सोने के सिक्के एक अजनबी के लिए दे औरउसे वापस जाने के लिए उम्मीद करेंगे, मूर्ख है! " रमन ने कहा.
"ओह, तो वह है जो आपको परेशान कर रही है," सम्राट ने कहा. "आपकोलगता है कि आदमी वापस नहीं होगा क्या होगा अगर वह नहीं करता है.?"
"उस मामले में," उसकी आँखों में एक चमक के साथ रमन ने कहा, "मैं अपना नाम बाहर खरोंच और उसकी वहाँ डाल देता हूँ."