परमोद शर्मा का जन्म १९४४ में भारत में हुआ | जब वह दो साल का हुआ तो उसने अपनी माँ को बोला की उसे खाना बनाने की ज़रूरत नहीं है क्यूंकि उसकी बीवी मोरादाबाद में है और वह उसके लिए खाना पकायेगी |मोरादाबाद उसके निवास स्थान बिसौली से १४५ किलोमीटर दूर था | ३ से ४ साल की उम्र के बीच परमोद ने “मोहन ब्रदर्स” नाम की दुकान का ज़िक्र किया जहाँ वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ बिस्कुट और पानी बेचता था | उसने छोटी खिलोनों सी दुकानें बनाई और अपने परिवार को पानी और मिटटी के बिस्कुट दिए | वह एक समृद्ध व्यापारीक परिवार से था और वह अपने नए परिवार के तंग हालातों ने परेशान था | उसने अपने माँ बाप को दही खाने से मना किया और खुद भी उसे हाथ नहीं लगाता था |उसने बताया की अपनी पिछली ज़िंदगी में इसे खाकर वह बहुत बीमार पड़ गया था | परमोद को नहाना अच्छा नहीं लगता था क्यूंकि वह कहता था की पिछले जन्म में उसकी मौत बाथ टब में हुई थी |
परमोद के परिवार वालों ने उससे वादा किया की एक बार वो पढना सीख जाता है तो वह उसे मोरादाबाद ले कर जायेंगे | पता चला की वहां मेहरा नाम का एक परिवार था जो “मोहन ब्रदर्स” नाम की एक सोडा और बिस्कुट की दूकान चलाते थे | १९४३ में प्रबंधक पर्मनानद मेहरा की दही खाने और पेट की परेशानी से मौत हो गयी थी | पर्मनानद ने इलाज के तौर पर औषधीय स्नान का इस्तेमाल किया था और मरने से थोड़ी ही देर पहले उसको स्नान कराया गया था |