कर्णाटक में नवरात्री के 6 दिन सरस्वती पूजा का आयोजन होता है जहाँ किताबें पढ़ी जाती है और सरस्वती देवी को समर्पित की जाती है | ऐसा माना जाता है की ऐसा करने से हमें ज्ञान अर्जित करने की ताकत मिलती है | ९ दिन आयुध पूजा की जाती है | सभी उपकरण , गाड़ियाँ आदि साफ़ कर सजाई जाती हैं |
जब कौरवों ने १४ साल के लिए पांडवों को अज्ञात वास के लिए भेज दिया था और समय समाप्त होने के आख़री दो दिनों में पांडव ने अपने सभी हथियारों को पेड़ से बाँध दिया था | इसके बाद उन्होनें इन शास्त्रों की पूजा की ताकि उसे अपनी शक्ति वापस मिल सके |इसे आयुध पूजा की तरह मनाया जाता है |
आख़री दिन उनकी जंगल की यात्रा का अंतिम दिन था इसलिए बाद के राजा भी उसे विजयदशमी की तरह मनाते हैं