अपने राज्यारोहण के कुछ दिनों बाद मैरी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वो उनका धर्म नहीं मानने वालों का दमन नहीं करेंगी लेकिन सितम्बर के अंत तक प्रमुख प्रोटेस्टैँट जॉन ब्रैडफोर्ड, जॉन रोज़र्स, जॉन हूपर्स, हुघ लैटिमर और थॉमस क्रैनमर को बंदी बना लिया गया। मैरी के नेतृत्व में गठित पहली संसदीय सभा जो अक्टूबर 1553 में बैठी थी ने मैरी के माता-पिता एरागॉन की कैथरीन और हेनरी के विवाह को पुन: वैध घोषित कर दिया, जिसे हेनरी ने क्रैनमर की सहायता से एन बोलिन से शादी करने के लिये अवैध घोषित करवा दिया था। संसद ने एडवर्ड के बनाये धार्मिक कानूनों को भी खत्म कर दिया। गिरिजाघरों कि सत्ता को पुन: १५३९ ई० वाली अवस्था में कर दिया गया। विवाहित पादरियों को किसी भी तरह के शाही फायदों से वंचित कर दिया गया।
मैरी ने अपने पिता हेनरी द्वारा रोम से पृथक्करण और भाई एडवर्ड और उसके अनुगामियों द्वारा प्रोटेस्टैंट शाखा से संबंधित विषय-वस्तुओं की स्थापना का सदैव विरोध किया था। फ़िलिप ने संसद से हेनरी के धार्मिक कानूनों को खत्म करने की मांग की और पुन: कैथोलिक रोम से जुड़ने की अनुशंसा की। नये अनुबंध को बनने में कई महीने लग गये और मैरी व पोप जुलियस तृतीय को कुछ बातों पर सम्झौता करना पड़ा। हेनरी के समय जब्त की गई कैथोलिक मठों की जमीनों को चर्च को वापस नहीं किया गया और वे अपने नए व प्रभावशाली मालिकों के पास ही रहीं। १५५४ के अंत तक पोप ने नई संधि को मान्यता दे दी थी और हेयर्से के कानून का भी पुनर्गठन हुआ।
हेअर्से के कानून के तहत बहुत सारे प्रोटेस्टेंटों को मैरियन दंड के तहत मौत के घाट उतार दिया गया। लगभग ८०० धनी व प्रभावशाली प्रोटेस्टेंटों ने देश छोड़ने का रास्ता चुना। पहले मृत्युदंड फरवरी 1555 के पहले हफ्ते में हुए: जॉन रोजर्स को 4 फरवरी, लौरेंस सांडर्स को 8 फरवरी, रोलैंड टेलर और जॉन हूपर को 9 फरवरी को मृत्युदंड दिया गया। जेल में बंद कैन्टरबरी के प्रमुखपादरी थॉमस क्रैनमर को पादरी निकोलस रिडली और ह्युघ लैटिमर को जलते हुए देखने के लिये मजबूर किया गया। क्रैनमर ने प्रोटेस्टैंट विचारधारा को त्याग दिया व फिर से कैथोलिक बन गया। सामान्य कानूनी गतिविधि के अनुसार पश्चाताप करने वाले कैदी क्रैनमर को छोड़ दिया जाना चाहिये था लेकिन मैरी ने उसे माफ करने से इंकार कर दिया। मैरी उसके पश्चाताप को सही नहीं मानती थी और उसे स्वयं व अपनी माँ को हुई विभिन्न परेशानियों का कारण भी मानती थी। जब मैरी की माँ का हेनरी से विवाह अवैध और मैरी को अवैध संतान घोषित करके उसे अंग्रेजी शासन के उत्तराधिकार से वंचित कर दिया गया था तब क्रैनमर ही हेनरी का प्रमुख सलाहकार व इंग्लैंड का चांसलर था। जब क्रैनमर को जलाए जाने से पहले उसने नाटकीय ढंग से प्रोटेस्टैंट विचारधारा से अपना त्याग वापस ले लिया। कुल 283 को मृत्युदंड की सजा दी गयी और अधिकतर को जला कर मारा गया। जलाकार मारने की ये घटनाएँ बहुत अप्रसिध हुईं और स्वयं फिलिप के गिरिजाघर के एक कर्मचारी अलफोंसो डी कास्त्रो ने इसकी निंदा की। एक अन्य सलाहकार साइमन रेनॉर्ड ने चेताया की ऐसी क्रूर जबर्दस्ती विद्रोह का कारण बन सकती है। हालांकि मैरी अपनी नीतियों पर डटी रहीं और अपनी मृत्यु तक अंग्रेज लोगों में स्पैनिश व कैथोलिक विरोधी भावनाओं को खत्म करने में लगी रहीं। इन अत्याचारों को झेलने वालों को बाद में शहीद का दर्ज़ा दिया गया।
मैरी की मृत्युदंड प्राप्त शिक्षिका का बेटा रेगिनैल्ड पोल पोप के प्रतिनिधि के तौर पर नवंबर १५५४ में आया। उसे पादरी और मार्च १५५६ में क्रैनमर की मृत्यु के बाद कैन्टरबरी का मुख्य पादरी नियुक्त कर दिया गया।