पांचाल नरेश की बेटी द्रौपदी को अर्जुन ने स्वयंवर में जीता था लेकिन कुंती से आशीर्वाद देने में गलती हो गयी और द्रौपदी पांचो पांडवो की पत्नी बन गयी। द्रौपदी श्रीकृष्ण को अपना भाई मानती थी और अर्जुन उनका प्रिय पति था।
स्त्री की वजह से भाईयों में झगड़ा जाना स्वाभाविक था इसलिए द्रौपदी से कौन कब प्यार करेगा इसके नियम सारे भाईयो ने व्यास जी की मदत से बनाये थे. सूर्य भगवान् ने द्रौपदी को एक विशेष वर भी दिया था जिसके अनुसार द्रौपदी तभी गर्भसे हो सकती थी जब वो खुद चाहती हो। द्रौपदी एक साल एक पति के साथ व्यतीत करती थी और उसके बाद एक मास वो उपवास तथा धर्माचरण में बिताती थी। इसप्रकार अगर उसे गर्भ धारण करना होता तो इस एक माह के दरम्यान वो इस बात की पुष्टि कर सकती थी। द्रौपदी को इस प्रकार पांचो भाईयों से एक एक पुत्र की प्राप्ति हो गयी थी।
द्रौपदी के गृह में सिर्फ उसका उस वर्ष का पती ही जा सकता था. बाकि ४ भाईयों को द्रौपदी के अंतःपुर में जाना मना था. लेकिन एक बार अर्जुन ने यह नियम तोड़ा और परिणाम स्वरुप उसने एक साल अज्ञातवास में बिताया।