इरावन अर्जुन का बेटा था। अपने पिता की जित के लिए उसने अपने खुद की बलि दी थी। मरने से पहले उसकी एक इच्छा थी की उसका विवाह हो जाये। लेकिन कोई भी युवती इरावन की पत्नी बनाने के लिए राजी नहीं थी। भला कौन युवती इसप्रकार अकाल विधवा बनना चाहेगी ?
इरावन के बलिदान से श्रीकृष्ण काफी प्रसन्न हुए थे और उन्हने खुद एक सौंदर्यवान युवती का रूप धारण कर इरावन के साथ विवाह रचाया था और इरावन के मृत्यु के बाद श्रीकृष्ण ने काफी विलाप भी किया था।
महाभारत के युद्ध में इरावत ने सुबल के पुत्रों अर्थात शकुनि के भाइयों का हनन कर डाला था। इरावत से क्रुद्ध होकर दुर्योधन ने राक्षस ऋष्यशृंग के पुत्र अलंबुष की शरण ली। अलंबुष युद्ध क्षेत्र में पहुँचा तो इरावत ने उसका धनुष और मस्तक काट डाला। अलंबुष क्रोध से पागल होकर आकाश में उड़ गया। इरावत ने भी आकाश में उड़कर उससे युद्ध किया। अलंबुष बाणों इत्यादि से कटने पर भी पुन: ठीक होने की शक्ति से सम्पन्न था तथा वह मायावी भी था। उसने तरह-तरह से इरावत को कैद करने का प्रयत्न किया। इरावत ने शेषनाग के समान विशाल रूप धारण कर लिया तथा बहुत से नागों के द्वारा राक्षस अलंबुष को आच्छादित कर दिया। राक्षस ने गरुड़ का रूप धारण कर समस्त नागों का नाश कर दिया तथा इरावत को भी मार डाला।