आयुर्वेद मानव जाति की जानकारी में  सबसे आरंभिक चिकित्‍सा शाखा है, तो योग धर्म का स्पष्ट और विष्पक्ष मार्ग। योग ऐसी विद्या है जिसमें भौतिक, मा‍नसिक और आध्यात्मिक आदि सभी समस्याओं का समाधान आठ अंगों में समेट दिया गया है। योग से बाहर धर्म और अध्यात्म की कल्पना नहीं की जा सकती।आयुर्वेद का आविष्‍कार भी ऋषि-मुनियों में अपने मोक्ष मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए ही किया था लेकिन बाद में इसने एक चिकित्सा पद्धति का रूप ले लिया। आयुर्वेद प्रकृति के अनुसार जीवन जीने की सलाह देता है। सेहतमंद बने रहकर मोक्ष प्राप्त करना ही भारतीय ऋषियों का उद्देश्य रहा है। 
 
भारत की विश्व को सबसे बड़ी देन योग और आयुर्वेद है। आधुनिक विज्ञान और मनुष्य दोनों के महत्व को समझने लगा है तभी तो समूचा योरप और अमेरिका आयुर्वेद और योग की शरण में है।धन्वंतरि, चरक, च्यवन और सुश्रुत को आयुर्वेद को व्यवस्थित रूप देने का श्रेय जाता है। 
ऋषि चरक ने 300-200 ईसापूर्व आयुर्वेद का महत्वपूर्ण ग्रंथ 'चरक संहिता' लिखा था। उन्हें त्वचा चिकित्सक भी माना जाता है। आठवीं शताब्दी में चरक संहिता का अरबी भाषा में अनुवाद हुआ और यह शास्त्र पश्चिमी देशों तक पहुंचा। चरक और च्यवन ऋषि के ज्ञान पर आधारित ही यूनानी चिकित्सा का विकास हुआ।

Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel