भगवान कृष्ण ने गुजरात के समुद्री तट पर अपने पूर्वजों की भूमि पर एक भव्य नगर का निर्माण किया था। कुछ विद्वान कहते हैं कि उन्होंने पहले से उजाड़ पड़ी कुशस्थली को फिर से निर्मित करवाया था। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अंतिम वर्षों को छोड़कर कभी भी द्वारिका में 6 महीने से ज्यादा नहीं रहे।
जो भी हो श्रीकृष्ण की इस नगरी को विश्वकर्मा और मयदानव ने मिलकर बनाया था। विश्वकर्मा देवताओं के और मयदानव असुरों के इंजीनियर थे। दोनों ही राम के काल में भी थे। इतिहासकार मानते हैं कि द्वारिका जल में डूबने से पहले नष्ट की गई थी। किसने नष्ट किया होगा द्वारिका को? यह सवाल अभी भी बना हुआ है। हालांकि समुद्र के भीतर द्वारिका के अवशेष ढूंढ लिए गए हैं। वहां उस समय के जो बर्तन मिले, हैं वो 1528 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व के बताए जाते हैं।