छोटे बच्चों के लिए कुछ खास कविताएँ जब हम दादी के साथ घाट पर टहलने जाते थे तब वह हम बच्चों को ये कविताएँ सुनाती थी! जो कभी बचपन में सुनी थी और अभी भी याद है| आज भी अस्सी घाट पर बैठते हैं तो गंगाजी के पानी को देखकर खूब याद करते हैं | अस्सी घाट की कविताएँ! ये कविताएँ बच्चो को बहुत पसंद आएँगी ऐसा मुझे विश्वास हैं|
अमीर औरत का गर्वहरण कैसे हुआ ये इस कहानी में पढिये
जब कंजूस मक्खीचूस जमींदार को ब्रम्ह राक्षस बतौर नौकर मिल जाता हैं तब क्या होता हैं? पढ़िए इस कहानी में.....
यह एक रूस के युक्रेन प्रान्त की एक लोककथा हैं! बुकस्ट्रक पे आपके लिए खास पेशकश हिंदी में
नागवती एक ऐसी कथा हैं जो आपकी उत्कंठा के चरम पर आपको ले जाती है| सर्पराज के आशीर्वाद से रानी को ७ सुंदर पुत्रियों की प्राप्ती होती हैं| आगे चलकर उसमे से एक लड़की नागवती को मुसलमान फ़क़ीर जादूगर अगवाह कर लेता हैं और बंदी बना लेता हैं| नागवती का पति उसे छुड़ाने में असफल हो जाता हैं | आखिर कौन हैं जो नागवती को उस जादूगर के चंगुन से बचाएगा? जानने के लिए पढ़िए नागवती!!
विचित्र वृक्ष एक जादुई कथा हैं जो हमें यह सिख देती हैं की कृतघ्न की व्याधि पर कोई दवा काम नहीं करती।
हिंदी लघुकथा पटेल का फैसला
कहा जाता है कि किसी समय शाँतिनगर नामक शहर में शाँतसिंह नाम का राजा था। उसकी रानी शाँतिमती सब तरह से उसके योग्य स्त्री थी। वे दोनों अपनी प्रजा को बहुत प्यार करते थे और अपनी संतान की तरह उनकी देख भाल करते थे। उनका एक ही लड़का था जिसका नाम धीरसेन था।
पुराने जमाने में पंढरपुर में एक भक्त ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी कमला भी बड़ी पतिव्रता थी। वे स्त्री-पुरुष दोनों रोज बड़ी भक्ति के साथ देवी रुक्मिणी की पूजा करते थे। देवी ने उनको पारस पत्थर दिया। उस पत्थर का प्रभाव ऐसा था कि जो चीज़ उससे छू जाती तुरन्त सोना बन नाती । अब उस ब्राह्मण को किस चीज की कमी हो सकती थी! उसके दिन आराम गुजरने लगे।
मुगल ए आजम! सलीम और अनारकली के अमर प्रेम की गाथा
किसी समय सौराष्ट्र में गिरनार के पास मोहन नाम का एक गरीब लड़का रहा करता था । वह जिस जगह रहता था वह पहाड़ों से भरी थी। लोगों का कहना था कि उन पहाड़ों में एक पर बड़ी अजीब अजीब चीजें नज़र आती हैं। इसलिए मोहन हर रोज़ उन पहाड़ों पर घूमने जाता था। उसे एक सुन्दर बाग दिखाई दिया। उसमें तरह तरह के पेड़ पौधे लगे हुए थे। तरह तरह के फूल खिल रहे थे और तरह तरह के पशु पक्षी स्वच्छन्द होकर विचर रहे थे। उस बगीचे के बीचोबीच गुलर का पेड़ था! और उसके निचे श्री दत्तात्रेय का स्थान था| यह सब देख कर मोहन का वहाँ से लौटने का मन न हुआ।
किसी समय अरब के एक गाँव में 'गिजरू' नामक एक आदमी रहता था। वह अपने कबीले का सरदार भी था। गिजरू को दुनिया में अगर जान से भी प्यारी कोई चीज़ थी तो यह उसका एक घोड़ा था। उस घोड़े का नाम था 'अमराक वह उस पर सो जान से न्योछावर था।
इल्वला तथा वातापी दो राक्षस भाई थे । उन्हें यतियों तथा तपस्वियों से गहरा द्वेश था क्योंकि किसी तपस्वी ने उसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद नहीं दिया था । उन्होंने अपने गुप्त शक्तियों से छल के साथ तपस्वियों एवं साधु और सन्यासियों को मार डालते थे ।
भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है...
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मा अमृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥