शून्य का इतिहास काफी पुराना है |सबसे पहले शून्य को बख्सली लिपि में लिखा गया लेकिन तब उसे सिर्फ 100 और 10 में फर्क करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था |ऐसे निशान बेबीलोनियन और मयान सभ्यताओं में शुरुआत में देखे गए थे |लेकिन सिर्फ भारत में ही शून्य को एक अलग पहंचान हासिल हुई |शून्य की खोज से संख्याओं को कुशलतापूर्वक लिखने का चलन शुरू हुआ |इसके इलावा महत्वपूर्ण वित्तीय गणनाओं के सही होने को जांचा जा सकता था |शून्य की खोज गणित के लोकतंत्रीकरण की ओर एक बेहद महत्वपूर्ण कदम था |गणितीय अवधारणाओं के साथ काम करने के लिए ये योग्य यांत्रिक उपकरण, मजबूत और खुले शैक्षिक और वैज्ञानिक संस्कृति के साथ, इसका मतलब यह समझिये कि लगभग 600AD तक, भारत में गणितीय खोजों के लिए एक आधार बना रही थी |पश्चिमी सभ्यता में इन सब उपकरणों की खोज 13 सदी तक नहीं हो पाई थी |


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