दिले हजीं [1] की तमन्ना दिले-हजीं [2] में रही
ये जिस ज़मीं की थी दुनिया उसी ज़मीं में रही

हिजाब [3] बन न गईं हों हक़ीक़तें [4] बाहम [5]
कि बेसबब [6] तो कशाकश [7] न कुफ़्रो-दीं [8] में रही

सरे-नियाज़ [9] न जब तक किसी के दर पे झुका
बराबर इक ख़लिश -सी [10] मिरी जबीं [11] पे रही

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