दिल में तुम हो नज़अ[1] का हंगाम[2] है
कुछ सहर[3] का वक़्त है कुछ शाम है
इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनआम है
वाह क्या आग़ाज़[4] क्या अंजाम है
दर्द-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन चुके
अब यहाँ आराम ही आराम है
पी रहा हूँ आँखों-आँखों में शराब
अब न शीशा है न कोई जाम है
इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनाम है
वाह क्या आग़ाज़ क्या अंजाम है
पीने वाले एक ही दो हों तो हों
मुफ़्त सारा मैकदा बदनाम है