बेल्जियम की एक्सप्लोरर, अध्यात्मवादी, और बौद्ध धर्म की प्रचारक अलेक्सान्द्रा डेविड नील ने 20 वि शताब्दी की तिब्बत में इन प्रथाओं का अध्ययन किया |उन्होनें ये बताया की तल्पा सोच की एकाग्रता से जन्म लेने वाली जादुई संरचनाएं हैं |डेविड नील ने बताया की एक अनुभवी बोद्धिसत्त्व 10 तरीके की ऐसी संरचनाएं बना सकता है |इन जादुई संरचनाओं को बना पाने की शक्ति सिर्फ इन्ही लोगों को उपलब्ध नहीं है |ये शक्ति किसी भी मानव, परमात्मा या असुर को हासिल हो सकती है |फर्क सिर्फ दिमाग की श्रेष्ठता और सोच की एकाग्रता की शक्ति में हैं |डेविड नील ने ये भी माना की एक तल्पा अपना दिमाग स्वयं विकसित कर सकता है |एक बार तल्पा को वो शक्ति मिल जाती है जिससे वह जीवित हो सके तो वह अपने को अपने बनाने वाले के चंगुल से निकाल लेता है |डेविड नील ने ये भी माना की उन्होनें स्वयं एक बौद्ध भिक्षुक के रूप का तल्पा बनाया था लेकिन बाद में उसने जब जीवित होने की कोशिश की तो उन्होनें उसे नष्ट कर दिया |