मंदिर का अर्थ है मन से दूर कोई जगह |मंदिर का अर्थ घर या उसे कई स्थानों पर द्वार भी कहा जाता है |इसे कई स्थानों पर आलय नाम भी दिया गया है |द्वारा में किसी भगवान या गुरु की पूजा होती है वहीँ आलय में सिर्फ शिवजी का पूजन हो सकता है | इसके इलावा स्तूप या मदिर ध्यान या साधना के लिए होता है |मन से दूर रहकर इश्वर की जहाँ पूजा हो सके उसे मंदिर का नाम दिया गया है | जिस प्रकार हम मंदिर में घुसने से पहले जूतों को उतार देते हैं उसी प्रकार हमें अपने मन से सारी बुराई को निकाल कर अन्दर प्रवेश करना चाहिए |